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Wednesday, June 14, 2023

मूल अधिकारों के हनन पर दायर की जा सकती है पीआईएल, मिल सकता है सरकारी वकील भी



पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) फाइल करने की प्रक्रिया हाईकोर्ट में भारत में निम्नलिखित है:


  • कोर्ट का चयन करें:

  • आपके केस के लिए उच्चतम न्यायालय का चयन करें।
  • यदि आप निश्चित नहीं हैं, तो एक वकील से सलाह लें।
  • फॉर्म भरें:

  • न्यायिक सेवा की वेबसाइट पर जाएं और उच्चतम न्यायालय के लिए आवेदन के लिए उपलब्ध फॉर्म डाउनलोड करें।
  • फॉर्म को ध्यान से पढ़ें और सभी आवश्यक जानकारी और दस्तावेज़ भरें।
  • फॉर्म के साथ अपनी केस की सार्वजनिक बायोडाटा जैसे कि आधार कार्ड, पासपोर्ट फ़ोटो, पता, आदि को संलग्न करें।
  • फाइल कोर्ट करें:

  • आपके आवेदन के सभी दस्तावेज़ों को एकत्रित करें और उच्चतम न्यायालय में जमा करें।
  • कोर्ट के निर्धारित फीस का भुगतान करें।
  • यदि आप एक वकील की सहायता से कार्य कर रहे हैं, तो उन्हें भी अपने साथ लाएं।
  • सुनवाई और जजीय निर्णय:

  • कोर्ट के निर्धारित तिथि पर सुनवाई में शामिल हों।
  • अपने मुद्दे को समझाएं और इसे संदर्भ प्रमाण के साथ समर्थन करें।
  • अगर आपके पक्ष पर जजीय निर्णय पक्षपाती या अनुचित होता है, तो आप उच्चतम न्यायालय के निर्धारित तरीके से अपील कर सकते हैं।

यदि आप PIL फ़ाइल करने की प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो एक वकील से संपर्क करना सर्वोत्तम होगा।

  • पीआईएल दायर करने के दौरान कोर्ट को बताना होता है कि मामला किस तरह जनहित से जुड़ा है
  • याची खुद कोर्ट जाकर या किसी वकील के माध्यम से पीआईएल कर सकता है दाखिल

यूटिलिटी डेस्क. हर साल 10 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए हमारे संविधान में 6 मूल अधिकार (समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार, सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार और संवैधानिक उपचारों का अधिकार) दिए गए हैं। ये अधिकार हमें सम्मान से जीने और समाज में रहने की आजादी देते हैं। मूल अधिकार देश के सभी नागरिकों को समान रूप से मिले हैं। आम आदमी के किसी भी मूल अधिकार का हनन होने पर कोर्ट में जनहित याचिका यानी पीआईएल दायर की जा सकती है।

1) डाक से भी दायर की जा सकती है PIL

  • अगर किसी कारखाने या उद्योग से लोगों को समस्या होती है या उनकी जिंदगी पर संकट उत्पन्न हो सकता है तो उसे बन्द करने के लिए पीआईएल दाखिल की जा सकती है।
  • सरकार के मनमानी कर प्रणाली से लोगों के असंतुष्ट होने पर भी पीआईएल दायर की जा सकती है।
  • प्रशासन सही से काम नहीं कर रहा है तब भी जनहित याचिका दायर किया जा सकता है।
  • महिला अधिकारों, बच्चों के अधिकारों, अल्पसंख्यकों के अधिकारों, वयस्कों के अधिकारों के उल्लंघन पर जनहित याचिका दायर की जा सकती है।
  • इसके अलावा और भी जो काम पब्लिक को प्रभावित करते हों उन सब के लिए पीआईएल दायर की जा सकती है।

जन सामान्य के मूल अधिकारों के उल्लंघन होने पर या आम आदमी के हित से जुड़ा मामला होने पर पीआईएल दायर की जा सकती है। पीआईएल दायर करने के दौरान यह बताना होता है कि मामला किस तरह जनहित से जुड़ा है। इसके अलावा कोर्ट को यह भी बताना होता है कि लोगों के कौन-से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।

  • जनहित याचिका, जनता को अदालत द्वारा दिया गया अधिकार है।
  • जनहित याचिका यानी पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (पीआईएल) किसी भी उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) या सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) में दायर की जा सकती है।
  • सामान्य परिस्थितियों में पहले पीआईएल हाईकोर्ट में दायर की जानी चाहिए। हाईकोर्ट से अर्जी खारिज होने पर सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज कराया जा सकता है।
  • हालांकि, विशेष परिस्थितियों में या व्यापक रूप से जनहित से जुड़े मामले में पीआईएल सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की जा सकती है।
  • याची खुद जाकर या किसी वकील के माध्यम से कोर्ट में पीआईएल दाखिल कर सकता है।
  • इसके अलावा वह सारी जानकारी पोस्टकार्ड पर लिख कर पोस्ट द्वारा भी पीआईएल दाखिल कर सकता है।
  • उच्च न्यायालय में पीआईएल की दो प्रतियां दायर की जानी चाहिए। वहीं सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका पांच सेटों में दायर की जानी चाहिए।
  • सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के पास वकील न होने की स्थिति में कोर्ट उसके लिए वकील मुहैया करा सकती है।

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